प्रागैतिहासि के राजस्थान: राजस्थान के प्रागैतिहासिक काल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित हैं। प्रागैतिहासिक राजस्थान के ऐतिहासिक स्रोत एवं विशेषताएँ पर प्रकाश डालते हैं
1. पाषाण काल को तीन भागोंमेंबांटा गया है:
○ पूर्व पाषाण काल
○ मध्य पाषाणकाल
○ उत्तर पाषाण काल
पूर्व पाषाणकाल
1. राजस्थान में क्या पत्थर के अनेक उपकरण मि लेहैं।
2. लगभग दो या डेढ़ लाख वर्ष पूर्व यहाँमानव संस्कृति वि द्यमान थी।
3. 1870 ई. मेंसी. ए. हैकेट नेसर्वप्रथम जयपुर और इन्द्रगढ़ सेपत्थर के उपकरण खोजे।
➢ उन्होंनेपूर्व पाषाणकालीन हस्त कुठार (Hand-axe) खोजी।
4. कुछ समय बाद सेंटनकार नेझालावाड़ सेइसी युग के उपकरण खोजे।
5. राजस्थान की प्रमुख नदि योंके कि नारेपूर्व पाषाणकालीन उपकरण मि लेहैं।
➢ वि शेष रूप सेचम्बल, बनास व उनकी सहायक नदि योंके कि नारे।
6. इस युग के उपकरण बो. आल्चि न नेजालौर सेखोजे।
➔ यह सम्पूर्ण भू-भाग पूर्व पाषाणकालीन संस्कृति का प्रसार क्षेत्र था।
मध्य पाषाणकाल
उपकरणों के स्थान
1. पश्चिम राजस्थान मेंलूनी और उसकी सहायक नदि योंसेउपकरण मि ले।
2. चित्तौड़ की बेड़च नदी घाटी सेउपकरण मि ले।
3. वि राटनगर सेभी मध्य पाषाणकालीन उपकरण प्राप्त हुए हैं।
उपकरणों के विशषेता
1. इस काल के उपकरण छोटेऔर हल्के होतेथे।
2. येउपकरण कुशलता सेनि र्मित होतेथे।
3. येउपकरण जैस्थर, एगेट, चर्ट,र्ट कार्नेलियन, फल्सेडोनी जैसेपाषाणोंसेबनेथे।
उपकरण
1. ब्लेड (Blade)
2. श्येवर (Engraver)
3. ट्राएंगल(Triangle)
4. क्रेसेन्ट (Crescent)
5. ट्रेपेज (Trapeze)
6. स्क्रेपर (Scraper